Skip to main content

Nimbahera Vlog | Nimbahera City | Nimbahera Bike Ride | Nimbahera

 Video Link - https://youtu.be/w1ceklFQhpI Tags - Rajasthan Explore,nimbahera,nimbahera rajasthan,nimbahera vlog,places to visit in rajasthan,rajasthan,rajasthan tour,rajasthan tourism,rajasthan tourist places,rajasthan travel guide,rajasthan trip

चारमीनार का इतिहास और रोचक बातें | Charminar History in Hindi

Charminar / चार मीनार भारत के तेलंगाना राज्य के हैदराबाद में स्थित विश्व प्रसिद्ध और महत्त्वपूर्ण स्मारक है। वर्तमान में यह स्मारक हैदराबाद की वैश्विक धरोहर बनी हुई है और साथ ही चारमीनार भारत के मुख्य 10 स्मारकों में भी शामिल है। चार मीनार को हैदराबाद के शासक मुहम्मद कुली क़ुतुबशाह ने बनवाया था। 

चारमीनार का इतिहास और रोचक बातें | Charminar History In Hindi

चार मीनार की जानकारी – Charminar Information in Hindi

Contents [show]

चार मीनार मुसि नदी के किनारे स्थित हैं। चारमीनार के बायीं तरफ लाड बाज़ार और दक्षिण तरफ मक्का मस्जिद है। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि चार मीनार का शाब्दिक अर्थ होता है— चार टॉवर (Eng – Four Tower)। यह भव्य इमारत प्रचीन काल की उत्कृष्ट वास्तुशिल्प का बेहतरीन नमूना है। इस टॉवर में चार चमक-दमक वाली मीनारें हैं, जो कि चार मेहराब से जुड़ी हुई हैं। मेहराब मीनार को सहारा भी देता है। जब कुली कुतुब शाही ने गोलकुंडा के स्थान पर हैदराबाद को नई राजधानी बनाया, तब चारमीनार का निर्माण करवाया गया था।

चार मीनार निर्माण के बारे में प्रसिद्द कथाए और इतिहास – Charminar History in Hindi

1). चारमीनार 1591 में शहर के अंदर प्‍लेग बीमारी की समाप्ति की खुशी में मोहम्‍मद कुली क़ुतुब शाह द्वारा बनवाई गई थी। माना जाता हैं की इस बीमारी की वजह से बहुत से लोग मर जातें थे इसलिए क़ुतुब शाह ने दुआ किये थी की ये बीमारी ठीक होने पर मस्जिद का निर्माण किया जाए। हैजा खत्म होने के बाद इसे शहर के बीचोंबीच बनाया गया था।

2). जाने-माने इतिहासकार मसूद हुसैन खान का कहना है की चारमीनार का निर्माणकार्य 1592 में पूरा हुआ था और हैदराबाद शहर की खोज 1591 में की गयी थी। किताब “डेज ऑफ़ द बीलव्ड” के अनुसार कुतुब शाह ने 1589 में चारमीनार का निर्माणकार्य शुरू किया था। इसका निर्माण उन्होंने उसी जगह पर किया था जहा उन्होंने अपनी भविष्य की रानी भागमती को पहली बार देखा था और रानी के इस्लाम धर्म में परिवर्तित होने के बाद उन्होंने शहर का नाम हैदराबाद रखा था। लेकिन इस कहानी को इतिहासकारों और विद्वानों ने झूटी बताया था, लेकिन स्थानिक लोगो का इस कहानी पर काफी विश्वास था।

3). कुतब शाही साम्राज्य के पाँचवे शासक सुल्तान मुहम्मद कुली कुतब शाह ने 1591 में चारमीनार को बनवाया था। अपनी राजधानी गोलकोंडा को हैदराबाद में स्थानान्तरित करने के बाद उन्होंने हैदराबाद में चारमीनार का निर्माण करवाया।हैदराबाद शहर की पहचान मानी जाने वाली चारमीनार चार मीनारों से मिलकर बनी एक चौकोर प्रभावशाली इमारत है। इसके मेहराब में हर शाम रोशनी की जाती है जो एक अविस्‍मरणीय दृश्‍य बन जाता है।

चार मीनार की बनावट – Architectural of the four towers

यह स्‍मारक ग्रेनाइट के मनमोहक चौकोर खम्‍भों से बना है, जो उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम दिशाओं में स्थित चार विशाल आर्च पर निर्मित किया गया है। यह आर्च कमरों के दो तलों और आर्चवे की गेलरी को सहारा देते हैं। चौकोर संरचना के प्रत्‍येक कोने पर एक छोटी मीनार है जो 24 मी. ऊंचाई की है, इस प्रकार यह भवन लगभग 54 मीटर ऊंचा बन जाता है। ये चार मीनारें हैं, जिनके कारण भवन को यह नाम दिया गया है। प्रत्‍येक मीनार कमल की पत्तियों के आधार की संरचना पर खड़ी है, जो क़ुतुब शाही भवनों में उपयोग किया जाने वाला तत्‍कालीन विशेष मोटिफ है।

चार मीनार का इस्तेमाल और खासियत – Charminar in Hindi

पहले तल को क़ुतुब शाही अवधि के दौरान मदरसे के रूप में उपयोग किया जाता था। दूसरे तल पर पश्चिमी दिशा में एक मस्जिद है, जिसका गुम्‍बद सड़क से ही दिखाई देता है, यदि कुछ दूरी पर खड़े होकर देखा जाए। चार मीनार की छत पर जाकर शहर का एक विहंगम दृश्‍य दिखाई देता है, जबकि मीनारों के अंदर अत्‍यधिक भीड़ के कारण कुछ विशेष अतिथियों को भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण, हैदराबाद वृत की अनुमति से यहाँ जाने दिया जाता है और वे मीनारों के सबसे ऊपरी सिरे पर जाकर हैदराबाद का दृश्‍य देख सकते हैं। वर्ष 1889 पर उपरोक्‍त चारों आर्चवे पर घडियां लगाई गई थीं।

चारमीनार के क्षेत्र में टहलते हुए आप इतिहास के अवशेषों को वर्तमान से मिलता हुआ देखकर निरंतर आश्‍चर्य कर सकते हैं। चार मीनार के दक्षिण पूर्व की ओर निज़ामिया यूनानी अस्‍पताल की इमारत स्थित है। पश्चिम में लगभग 50 मीटर की दूरी पर लाड बाज़ार की दुकानों के बीच एक पुरानी ढहती भूरी दीवार है जो पुराने निज़ाम के जिलाऊ खाना या परेड के मैदान का प्रवेश दर्शाती है। अब इन मैदानों का उपयोग बड़े वाणिज्यिक संकुल के विकास में किया जा रहा है। पुन: बांईं ओर एक सड़क खिलावत कॉम्प्‍लेक्‍स (चौ महाल्‍ला पैलेस) की ओर जाती है। लाड बाज़ार की सड़क महबूब चौक पर समाप्‍त होती है जहां 19वीं शताब्‍दी के दौरान बनाई गई कोमल सफ़ेद मस्जिद पर उसी अवधि के क्‍लॉक टावर लूम स्थित हैं।चार मीनार के बारे में रोचक तथ्य – Interesting Facts About Charminar in Hindi

1). कुतब शाही साम्राज्य के पाँचवे शासक सुल्तान मुहम्मद कुली कुतब शाह ने 1591 में चारमीनार को बनवाया था।

2). हैदराबाद शहर प्राचीन और आधुनिक समय का अनोखा मिश्रण है जो देखने वालों को 400 वर्ष पुराने भवनों की भव्‍यता के साथ आपस में सटी आधुनिक इमारतों का दर्शन भी कराता है।

3). क़ुतुब शाही वास्‍तुकला के कुछ उत्‍कृष्‍ट उदाहरणों को प्रदर्शित करता है – 1) जामी मस्जिद, 2) मक्‍का मस्जिद 3) तौली मस्जिद, 4) बेशक हैदराबाद का प्रभावशाली चिन्‍ह, चार मीनार।

4). कहा जाता है की चारमीनार की चार मीनारे इस्लाम के पहले चार खलीफो का प्रतिक है।

5). चार मीनार के उत्तर में जो प्रमुख द्वार हैं वहां चार प्रवेश द्वार हैं, जिसे चार कमान कहते हैं।


6). चार मीनार के हर एक वक्र पर एक घडी लगी हुई है जो 1889 में बनायी गयी थी।

7). चार मीनार के उपरी मंजिल पर जाने के 149 हवाई सीढियाँ चढ़ने की जरुरत होती है। सभी मीनारे 149 हवाई सीढियो से पृथक की गयी है।

8). चारमीनार न सिर्फ अपनी भव्य उपस्थिति बल्कि पुराने समय के गौरव के कारण भी बड़ी संख्या में पर्यटकों को अपनी ओर खींचता है।

9). कहा जाता है की इसका निर्माण करने के बाद मुहम्मद कुली ने वहा अल्लाह से प्रार्थना की थी। फ्लेग बीमारी की वजह से।

10). चारमीनार में पत्थरो की बालकनी के साथ ही एक छत और दो गैलरी भी है जो छत की तरह दिखाई देती है।


11). चार मीनार संरचना ग्रेनाइट, चूना पत्थर, मोर्टार और चूर्णित संगमरमर से बना है।

12). मीनार की मुख्य गैलरी में 45 लोगो के नमाज पढ़ने जितनी जगह है।

13). कहा जाता है की चारमीनार और गोलकोंडा किले के बिच एक गुप्त मार्ग भी बना हुआ है, जो पहले कुली कुतब शाह की राजधानी थी और आपातकालीन समय में इस गुप्त मार्ग से राजघराने के लोगो को सुरक्षित रूप से एक जगह से दूसरी जगह भेजा जाता था। लेकिन आज भी उस गुप्त द्वार की वास्तविक जगह किसी को नही मिल पाया है।

14). शहर जितनी पुरानी ये चार मीनारें इस भवन के साथ पुराने शहर के मध्‍य में हैं और ये क़ुतुब शाही युग का हॉल मार्क हैं।

15). कहा जाता हैं की 1824 में मीनार पर बिजली गिर गयी थी, जिसे 100000  लागत से मरम्मत किया गया था।

16). “आर्क डी ट्राइम्‍फ ऑफ द इस्‍ट” नामक चार मीनार हैदराबाद की पहचान है।

17). चार मीनार हैदराबाद रेलवे स्‍टेशन से लगभग 7 किलो मीटर की दूरी पर है। वही अगर बस जाना चाहते हैं तो यह हैदराबाद बस स्‍टेशन से 5 किलो मीटर की दूरी पर है।



Comments

Popular posts from this blog

फोटो से वशीकरण कैसे करे ? मोबाइल की फोटो से करे किसी को भी अपने वश में

फोटो से वशीकरण का मंत्र के लिए आपको जिसको वश में करना है, उनका कोई अच्छा फोटो और उनका नाम सबसे महत्वपूर्ण है | फोटो से वशीकरण करने के बाद आप अपने नजर में काफी दूर रहने वाले व्यक्ति को वश में कर सकते हो | पावरफुल और फेमस वशीकरण मंत्र जिसके इस्तेमाल से आप किसी भी व्यक्ति का असरदार वशीकरण कर सकते हो | फोटो वशीकरण मंत्र का इस्तेमाल  आमतौर पर लोग किसी व्यक्ति का वशीकरण करने के लिए करते हैं, ज्यादातर लोगों को अलग-अलग प्रकार के वशीकरण मंत्र पता होते हैं | जैसे कि कामदेव वशीकरण मंत्र से आप किसी व्यक्ति को अपनी कामुकता के अधीन कर सकते हो और उस व्यक्ति का वशीकरण कर सकते हो, सूर्य वशीकरण मंत्र का इस्तेमाल करने से आप किसी भी व्यक्ति को प्रभावशाली वशीकरण कर सकते हो , विचित्र वशीकरण मंत्र का इस्तेमाल करने से आप किसी भी व्यक्ति का उसके मनके बावजूद उस व्यक्ति का वशीकरण कर सकते हो, भैरवी हिप्नोटिजम इस वशीकरण मंत्र का इस्तेमाल आप किसी व्यक्ति को अपने वश में करने के लिए और उस व्यक्ति को हिप्नोटाइज यानी कि  सम्मोहित  करने के लिए इसका इस्तेमाल कर सकते हो | दोस्तों फोटो से वशीकरण करने के लिए आपक

चमत्कारिक मेहंदीपुर बालाजी मंदिर- प्रेत-भूत बाधा दूर करने का सबसे प्रसिद्ध और विश्वसनीय स्थान

Mehandipur Balaji Story in Hindi  : यूं तो भारत में हनुमानजी के लाखों मंदिर हैं। हर मंदिर पर भक्तों की भीड़ उमड़ती है, पर राजस्थान के दौसा जिला स्थित घाटा मेंहदीपुर बालाजी की बात ही अलग है। मेंहदीपुर बालाजी को दुष्ट आत्माओं से छुटकारा दिलाने के लिए दिव्य शक्ति से प्रेरित हनुमानजी का बहुत ही शक्तिशाली मंदिर माना जाता है। यहां कई लोगों को जंजीर से बंधा और उल्टे लटके देखा जा सकता है। यह मंदिर और इससे जुड़े चमत्कार देखकर कोई भी हैरान हो सकता है। शाम के समय जब बालाजी की आरती होती है तो भूतप्रेत से पीड़ित लोगों को जूझते देखा जाता है। राजस्थान के दौसा जिले के पास दो पहाडिय़ों के बीच बसा हुआ मेहंदीपुर नामक स्थान है। यह मंदिर जयपुर-बांदीकुई- बस मार्ग पर जयपुर से लगभग 65 किलोमीटर दूर है। दो पहाडिय़ों के बीच की घाटी में स्थित होने के कारण इसे घाटा मेहंदीपुर भी कहते हैं। गीताप्रेस गोरखपुर द्वार प्रकाशित हनुमान अंक के अनुसार यह मंदिर करीब 1 हजार साल पुराना है। यहां पर एक बहुत विशाल चट्टान में हनुमान जी की आकृति स्वयं ही उभर आई थी। इसे ही श्री हनुमान जी का स्वरूप माना जाता है। इनके चरणों में छोटी स

Nimbahera Vlog | Nimbahera City | Nimbahera Bike Ride | Nimbahera

 Video Link - https://youtu.be/w1ceklFQhpI Tags - Rajasthan Explore,nimbahera,nimbahera rajasthan,nimbahera vlog,places to visit in rajasthan,rajasthan,rajasthan tour,rajasthan tourism,rajasthan tourist places,rajasthan travel guide,rajasthan trip