Charminar / चार मीनार भारत के तेलंगाना राज्य के हैदराबाद में स्थित विश्व प्रसिद्ध और महत्त्वपूर्ण स्मारक है। वर्तमान में यह स्मारक हैदराबाद की वैश्विक धरोहर बनी हुई है और साथ ही चारमीनार भारत के मुख्य 10 स्मारकों में भी शामिल है। चार मीनार को हैदराबाद के शासक मुहम्मद कुली क़ुतुबशाह ने बनवाया था।
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चार मीनार मुसि नदी के किनारे स्थित हैं। चारमीनार के बायीं तरफ लाड बाज़ार और दक्षिण तरफ मक्का मस्जिद है। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि चार मीनार का शाब्दिक अर्थ होता है— चार टॉवर (Eng – Four Tower)। यह भव्य इमारत प्रचीन काल की उत्कृष्ट वास्तुशिल्प का बेहतरीन नमूना है। इस टॉवर में चार चमक-दमक वाली मीनारें हैं, जो कि चार मेहराब से जुड़ी हुई हैं। मेहराब मीनार को सहारा भी देता है। जब कुली कुतुब शाही ने गोलकुंडा के स्थान पर हैदराबाद को नई राजधानी बनाया, तब चारमीनार का निर्माण करवाया गया था।
चार मीनार निर्माण के बारे में प्रसिद्द कथाए और इतिहास – Charminar History in Hindi
1). चारमीनार 1591 में शहर के अंदर प्लेग बीमारी की समाप्ति की खुशी में मोहम्मद कुली क़ुतुब शाह द्वारा बनवाई गई थी। माना जाता हैं की इस बीमारी की वजह से बहुत से लोग मर जातें थे इसलिए क़ुतुब शाह ने दुआ किये थी की ये बीमारी ठीक होने पर मस्जिद का निर्माण किया जाए। हैजा खत्म होने के बाद इसे शहर के बीचोंबीच बनाया गया था।
2). जाने-माने इतिहासकार मसूद हुसैन खान का कहना है की चारमीनार का निर्माणकार्य 1592 में पूरा हुआ था और हैदराबाद शहर की खोज 1591 में की गयी थी। किताब “डेज ऑफ़ द बीलव्ड” के अनुसार कुतुब शाह ने 1589 में चारमीनार का निर्माणकार्य शुरू किया था। इसका निर्माण उन्होंने उसी जगह पर किया था जहा उन्होंने अपनी भविष्य की रानी भागमती को पहली बार देखा था और रानी के इस्लाम धर्म में परिवर्तित होने के बाद उन्होंने शहर का नाम हैदराबाद रखा था। लेकिन इस कहानी को इतिहासकारों और विद्वानों ने झूटी बताया था, लेकिन स्थानिक लोगो का इस कहानी पर काफी विश्वास था।
3). कुतब शाही साम्राज्य के पाँचवे शासक सुल्तान मुहम्मद कुली कुतब शाह ने 1591 में चारमीनार को बनवाया था। अपनी राजधानी गोलकोंडा को हैदराबाद में स्थानान्तरित करने के बाद उन्होंने हैदराबाद में चारमीनार का निर्माण करवाया।हैदराबाद शहर की पहचान मानी जाने वाली चारमीनार चार मीनारों से मिलकर बनी एक चौकोर प्रभावशाली इमारत है। इसके मेहराब में हर शाम रोशनी की जाती है जो एक अविस्मरणीय दृश्य बन जाता है।
चार मीनार की बनावट – Architectural of the four towers
यह स्मारक ग्रेनाइट के मनमोहक चौकोर खम्भों से बना है, जो उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम दिशाओं में स्थित चार विशाल आर्च पर निर्मित किया गया है। यह आर्च कमरों के दो तलों और आर्चवे की गेलरी को सहारा देते हैं। चौकोर संरचना के प्रत्येक कोने पर एक छोटी मीनार है जो 24 मी. ऊंचाई की है, इस प्रकार यह भवन लगभग 54 मीटर ऊंचा बन जाता है। ये चार मीनारें हैं, जिनके कारण भवन को यह नाम दिया गया है। प्रत्येक मीनार कमल की पत्तियों के आधार की संरचना पर खड़ी है, जो क़ुतुब शाही भवनों में उपयोग किया जाने वाला तत्कालीन विशेष मोटिफ है।
चार मीनार का इस्तेमाल और खासियत – Charminar in Hindi
पहले तल को क़ुतुब शाही अवधि के दौरान मदरसे के रूप में उपयोग किया जाता था। दूसरे तल पर पश्चिमी दिशा में एक मस्जिद है, जिसका गुम्बद सड़क से ही दिखाई देता है, यदि कुछ दूरी पर खड़े होकर देखा जाए। चार मीनार की छत पर जाकर शहर का एक विहंगम दृश्य दिखाई देता है, जबकि मीनारों के अंदर अत्यधिक भीड़ के कारण कुछ विशेष अतिथियों को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, हैदराबाद वृत की अनुमति से यहाँ जाने दिया जाता है और वे मीनारों के सबसे ऊपरी सिरे पर जाकर हैदराबाद का दृश्य देख सकते हैं। वर्ष 1889 पर उपरोक्त चारों आर्चवे पर घडियां लगाई गई थीं।
चारमीनार के क्षेत्र में टहलते हुए आप इतिहास के अवशेषों को वर्तमान से मिलता हुआ देखकर निरंतर आश्चर्य कर सकते हैं। चार मीनार के दक्षिण पूर्व की ओर निज़ामिया यूनानी अस्पताल की इमारत स्थित है। पश्चिम में लगभग 50 मीटर की दूरी पर लाड बाज़ार की दुकानों के बीच एक पुरानी ढहती भूरी दीवार है जो पुराने निज़ाम के जिलाऊ खाना या परेड के मैदान का प्रवेश दर्शाती है। अब इन मैदानों का उपयोग बड़े वाणिज्यिक संकुल के विकास में किया जा रहा है। पुन: बांईं ओर एक सड़क खिलावत कॉम्प्लेक्स (चौ महाल्ला पैलेस) की ओर जाती है। लाड बाज़ार की सड़क महबूब चौक पर समाप्त होती है जहां 19वीं शताब्दी के दौरान बनाई गई कोमल सफ़ेद मस्जिद पर उसी अवधि के क्लॉक टावर लूम स्थित हैं।चार मीनार के बारे में रोचक तथ्य – Interesting Facts About Charminar in Hindi
1). कुतब शाही साम्राज्य के पाँचवे शासक सुल्तान मुहम्मद कुली कुतब शाह ने 1591 में चारमीनार को बनवाया था।
2). हैदराबाद शहर प्राचीन और आधुनिक समय का अनोखा मिश्रण है जो देखने वालों को 400 वर्ष पुराने भवनों की भव्यता के साथ आपस में सटी आधुनिक इमारतों का दर्शन भी कराता है।
3). क़ुतुब शाही वास्तुकला के कुछ उत्कृष्ट उदाहरणों को प्रदर्शित करता है – 1) जामी मस्जिद, 2) मक्का मस्जिद 3) तौली मस्जिद, 4) बेशक हैदराबाद का प्रभावशाली चिन्ह, चार मीनार।
4). कहा जाता है की चारमीनार की चार मीनारे इस्लाम के पहले चार खलीफो का प्रतिक है।
5). चार मीनार के उत्तर में जो प्रमुख द्वार हैं वहां चार प्रवेश द्वार हैं, जिसे चार कमान कहते हैं।
6). चार मीनार के हर एक वक्र पर एक घडी लगी हुई है जो 1889 में बनायी गयी थी।
7). चार मीनार के उपरी मंजिल पर जाने के 149 हवाई सीढियाँ चढ़ने की जरुरत होती है। सभी मीनारे 149 हवाई सीढियो से पृथक की गयी है।
8). चारमीनार न सिर्फ अपनी भव्य उपस्थिति बल्कि पुराने समय के गौरव के कारण भी बड़ी संख्या में पर्यटकों को अपनी ओर खींचता है।
9). कहा जाता है की इसका निर्माण करने के बाद मुहम्मद कुली ने वहा अल्लाह से प्रार्थना की थी। फ्लेग बीमारी की वजह से।
10). चारमीनार में पत्थरो की बालकनी के साथ ही एक छत और दो गैलरी भी है जो छत की तरह दिखाई देती है।
11). चार मीनार संरचना ग्रेनाइट, चूना पत्थर, मोर्टार और चूर्णित संगमरमर से बना है।
12). मीनार की मुख्य गैलरी में 45 लोगो के नमाज पढ़ने जितनी जगह है।
13). कहा जाता है की चारमीनार और गोलकोंडा किले के बिच एक गुप्त मार्ग भी बना हुआ है, जो पहले कुली कुतब शाह की राजधानी थी और आपातकालीन समय में इस गुप्त मार्ग से राजघराने के लोगो को सुरक्षित रूप से एक जगह से दूसरी जगह भेजा जाता था। लेकिन आज भी उस गुप्त द्वार की वास्तविक जगह किसी को नही मिल पाया है।
14). शहर जितनी पुरानी ये चार मीनारें इस भवन के साथ पुराने शहर के मध्य में हैं और ये क़ुतुब शाही युग का हॉल मार्क हैं।
15). कहा जाता हैं की 1824 में मीनार पर बिजली गिर गयी थी, जिसे 100000 लागत से मरम्मत किया गया था।
16). “आर्क डी ट्राइम्फ ऑफ द इस्ट” नामक चार मीनार हैदराबाद की पहचान है।
17). चार मीनार हैदराबाद रेलवे स्टेशन से लगभग 7 किलो मीटर की दूरी पर है। वही अगर बस जाना चाहते हैं तो यह हैदराबाद बस स्टेशन से 5 किलो मीटर की दूरी पर है।