अक्सर हम सभी सुनते या पढ़ते हैं कि पुलिस ने शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए धारा-144 लगा दी है. कहीं भी किसी भी शहर में हालात बिगड़ने की संभावना या किसी घटना के बाद धारा-144 लगा दी जाती है. आईए जानते हैं कि आखिर धारा-144 है क्या और इसका पालन न करने पर क्या सजा हो सकती है.
क्या है धारा-144 – What is section 144?
सीआरपीसी के तहत आने वाली धारा-144 शांति व्यवस्था कायम करने के लिए लगाई जाती है. इस धारा को लागू करने के लिए जिला मजिस्ट्रेट यानी जिलाधिकारी एक नोटिफिकेशन जारी करता है. और जिस जगह भी यह धारा लगाई जाती है, वहां चार या उससे ज्यादा लोग इकट्ठे नहीं हो सकते हैं. इस धारा को लागू किए जाने के बाद उस स्थान पर हथियारों के लाने ले जाने पर भी रोक लगा दी जाती है.
क्या है सजा का प्रावधान?
धारा-144 का उल्लंघन करने वाले या इस धारा का पालन नहीं करने वाले व्यक्ति को पुलिस गिरफ्तार कर सकती है. उस व्यक्ति की गिरफ्तारी धारा-107 या फिर धारा-151 के तहत की जा सकती है. इस धारा का उल्लंघन करने वाले या पालन नहीं करने के आरोपी को एक साल कैद की सजा भी हो सकती है. वैसे यह एक जमानती अपराध है, इसमें जमानत हो जाती है.
क्या है दण्ड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी)
दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 (Code of Criminal Procedure, 1973) भारत में आपराधिक कानून के क्रियान्यवन के लिये मुख्य कानून है. यह सन् 1973 में पारित हुआ था. इसे देश में 1 अप्रैल 1974 को लागू किया गया. दंड प्रक्रिया संहिता का संक्षिप्त नाम ‘सीआरपीसी’ है. जब कोई अपराध किया जाता है, तो सदैव दो प्रक्रियाएं होती हैं, जिन्हें पुलिस अपराध की जांच करने में अपनाती है. एक प्रक्रिया पीड़ित के संबंध में और दूसरी आरोपी के संबंध में होती है. सीआरपीसी में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है.
खराब व्यवहार की इजाजत नहीं देता कानून
कुछ प्रकार के मानव व्यवहार ऐसे होते हैं जिसकी कानून इजाजत नहीं देता. ऐसे व्यवहार करने पर किसी व्यक्ति को उसके नतीजे भुगतने पड़ते हैं. खराब व्यवहार को अपराध या गुनाह कहते हैं. और इसके नतीजों को दंड यानी सजा कहा जाता है.
शांति के लिए लगती है धारा 144, तोड़ने पर एक साल की कैद
सीआरपीसी की धारा-144 शांति व्यवस्था कायम करने के लिए लगाई जाती है। इस धारा को लागू करने के लिए जिला मजिस्टे्रट द्वारा एक नोटिफिकेशन जारी की जाती है और जिस भी स्थान के लिए यह धारा-144 लगाई जाती है, उस स्थान पर पांच या उससे ज्यादा लोग इकट्ठे नहीं हो सकते हैं। इस धारा से उस स्थान पर हथियारों के लाने ले जाने पर भी रोक लगा दी जाती है, जो भी व्यक्ति इस धारा का पालन नहीं करता है तो फिर पुलिस उस व्यक्ति को धारा-107 या फिर धारा-151 के तहत गिरफ्तार भी कर सकती है। इस प्रकार के मामलों में एक साल की कैद भी हो सकती है। वैसे यह एक जमानती अपराध है, इसमें जमात हो जाती है।
सीआरपीसी की धारा-144 में यह प्रावधान किया गया है कि डिस्ट्रिक्ट मैजिस्ट्रेट नोटिफिकेशन जारी करता है। इसके तहत यह प्रावधान किया गया है कि जिस इलाके में निषेधाज्ञा लागू की जाती है, वहां 5 या उससे ज्यादा लोग इकट्ठे नहीं हो सकते। ऐसा करने पर उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट के वकील डी. बी. गोस्वामी के मुताबिक यह निषेधात्मक आदेश है। धारा-144 किसी विशेष जिला, थाना या तहसील में लगाई जा सकती है। जिस इलाके में धारा-144 लगी होती है, वहां 5 या उससे ज्यादा लोग इकट्ठे नहीं हो सकते। साथ ही, हथियार लाने-ले जाने पर भी रोक लग जाती है। इस धारा का इस्तेमाल शांति कायम रखने के लिए किया जाता है। जब भी प्रशासनिक अधिकारी को अंदेशा हो कि इलाके में शांति व्यवस्था प्रभावित हो सकती है तो यह धारा लगाई जा सकती है। इसका उल्लंघन करने वाले को पुलिस धारा-107/151 के तहत गिरफ्तार करती है। गिरफ्तारी के बाद उसे इलाके के एसडीएम या एसीपी के सामने पेश किया जाता है। चूंकि यह अपराध जमानती है, इसलिए बेल बॉन्ड भरने के बाद आरोपी को रिहा करने का प्रावधान है। निषेधाज्ञा के उल्लंघन के मामले में पुलिस संदिग्ध को उठाकर किसी दूसरे इलाके में भी पहुंचा सकती है और जिस इलाके में निषेधाज्ञा लगी हो, वहां आने नहीं देती।
लग सकती हैं और भी धाराएं
निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने वाले शख्स ने मैजिस्ट्रेट के सामने पेशी के दौरान अगर बेल बॉन्ड नहीं भरा तो उसे जेल भेज दिया जाता है। इस मामले में अधिकतम एक साल की कैद हो सकती है। निषेधाज्ञा के उल्लंघन के दौरान पुलिस कई बार आईपीसी की धारा-188 (सरकारी आदेश को न मानना) के तहत केस दर्ज करती है।
ऐसे मामले में अधिकतम एक महीने कैद या 200 रुपये जुर्माने का प्रावधान है। गोस्वामी के मुताबिक अगर निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने वाले ने दंगा-फसाद किया हो, सरकारी काम में बाधा डाली हो या फिर मारपीट की हो तो उन मामलों में अलग-से आईपीसी की धाराएं लगाए जाने का प्रावधान है।
Comments
Post a Comment