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गोकुल के रमण रेती मंदिर परिसर में हर तरफ रेत ही रेत है। यहां जो भी कृष्ण भक्त आता है, बिना रेत में लोटे नहीं जाता। फागुन मास में यहां भक्तों की भीड़ बढ़ जाती है। मान्यता है कि भगवान कृष्ण ने बाल रूप में इस रेत पर लीलाएं की थीं। लोग मानते हैं कि इस रेत से बीमारियां दूर हो जाती हैं।
- रमण रेती मंदिर के संत सुभावना तितरानंद ने बताया- भगवान कृष्ण के बाल्यावस्था में मंदिर की जगह जंगल था। इस जगह पर रमण बिहारी (कृष्ण) खेलते थे।
- एक बार जब रमण बिहारी खेल रहे थे, तब गोपियों ने उनकी गेंद चुरा ली। तब उन्होंने रेत की ही गेंद बना ली।
- भक्त मानते हैं कि यहां की रेत को घुटने वह जोड़ों में रखने पर दर्द खत्म हो जाता है।
- लोग यहां आकर लोटते हैं, ताकि इस पवित्र मिट्टी से वे भी पवित्र हो सकें। मान्यता है कि बालकृष्ण यहां चले हैं इसलिए यह पवित्र है।
- रेत की गेंद बनाकर एक-दूसरे को मारने से पुण्य मिलता है। सारे दुख दूर हो जाते हैं।
- यहां लोग रेत का घर भी बनाते हैं। मान्यता है कि इससे अपना घर बनाने की मुराद पूरी होती हैं।
- मंदिर के रेत में लोग नंगे पैर चलते हैं। कोई भी जूता, चप्पल पहनकर रेत में नहीं जा सकता है।
- रेत में कंकड़ नहीं हैं। इसलिए नंगे पांव चलने से कोई असुविधा नहीं होती है और अच्छा लगता है।
- इस रेत को पूजनीय माना जाता है। लोग इस रेत को अपने साथ भी ले जाते हैं।
- यहां पर संत आत्मानंद गिरि आए। माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण ने इन्हें साक्षात दर्शन दिए। इसलिए यह स्थान सिद्ध स्थान माना जाता है।
बीमारी दूर करने को पैरों व बदन पर रेत लगाते हैं भक्त
- पुणे से आए त्रिलोक चंद शर्मा ने बताया- उनके घुटने में दर्द रहता है। वह ऐसे अपने दोस्तों के साथ यहां आए हैं।
- रेत को पैरों पर रखकर एक घंटे वह त्रिलोक चंद बैठे रहे। उन्होंने कहा कि पिछले साल ऐसा करने से पैरों का दर्द दूर हो गया।
- इंदौर की रजनी तिवारी अपने परिवार के साथ मंदिर में आईं। उन्होंने रेत से घर बनाया। उन्होंने कहा कि इससे घर की इच्छा पूरी हो जाएगी।
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